Tourist place patalkot in hindi पातालकोट तमिया



🌿 पातालकोट टूरिज्म प्लेस – धरती के भीतर बसा स्वर्ग

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले में स्थित पातालकोट (Patalkot) एक अद्भुत प्राकृतिक घाटी है, जो अपने रहस्यमय सौंदर्य, जनजातीय संस्कृति और हरियाली से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। समुद्र तल से लगभग 2750 फीट नीचे स्थित यह घाटी, भारत के उन कुछ स्थानों में से एक है जो अब भी अपनी प्राचीन सभ्यता और प्राकृतिक शुद्धता को सहेजे हुए हैं।

Patalkot ka sunder drushya 


🌄 पातालकोट का परिचय

पातालकोट का नाम संस्कृत शब्द “पाताल” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है – धरती के नीचे या गहराई में स्थित स्थान। सचमुच यह जगह एक गहरी और सुंदर घाटी है जो चारों ओर से घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरी हुई है। यह घाटी करीब 79 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है और यहाँ लगभग 12 से अधिक गाँव बसे हुए हैं।

यह क्षेत्र इतना गहरा और घना है कि वर्षों तक इसे बाहरी दुनिया से कोई नहीं जानता था। स्थानीय कहानियों के अनुसार, यहाँ के लोग पीढ़ियों से आत्मनिर्भर जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अपने पारंपरिक तरीकों से खेती, चिकित्सा और संस्कृति को बनाए हुए हैं।


📍 पातालकोट कहाँ स्थित है

पातालकोट मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले में स्थित है। यह छिंदवाड़ा शहर से लगभग 78 किलोमीटर की दूरी पर और भोपाल से करीब 300 किलोमीटर दूर है।

यदि आप यहाँ आना चाहते हैं तो सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड छिंदवाड़ा है।
वहीं निकटतम हवाई अड्डा नागपुर (लगभग 200 किमी) पर स्थित है।


🏞️ पातालकोट की प्राकृतिक सुंदरता

पातालकोट को “धरती के गर्भ में बसा स्वर्ग” भी कहा जाता है। यहाँ की हरियाली, झरने, पर्वत और शांति भरा वातावरण इसे एक प्राकृतिक थेरेपी जोन बनाता है।

  • सुबह के समय यहाँ बादल घाटी के भीतर उतर आते हैं, जिससे पूरा इलाका किसी फिल्मी दृश्य जैसा लगता है।
  • वर्षा ऋतु में यह घाटी हरे मखमल की तरह चमक उठती है।
  • यहाँ के झरनों और छोटी-छोटी धाराओं का मधुर संगीत कानों को सुकून देता है।

प्रकृति प्रेमियों, फोटोग्राफरों और एडवेंचर ट्रैवलर्स के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है।

Patalkot ka sean


🌱 जनजातीय संस्कृति और जीवनशैली

पातालकोट में मुख्य रूप से भील, भारिया और गोंड जनजातियाँ निवास करती हैं। ये लोग प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर जीने की अनोखी कला जानते हैं।

  • ये लोग औषधीय पौधों का उपयोग कर बीमारियों का इलाज करते हैं।
  • यहाँ के पारंपरिक “वैद्य” जंगल से जड़ी-बूटियाँ लाकर प्राकृतिक दवाइयाँ तैयार करते हैं, जो आज भी प्रसिद्ध हैं।
  • इन जनजातियों की भाषा, लोकनृत्य, गीत और पोशाकें उनकी संस्कृति की सुंदर झलक पेश करती हैं।

सरकार और पर्यटन विभाग यहाँ की संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं।


🌄 पातालकोट में घूमने योग्य प्रमुख स्थल

  1. तामिया व्यू पॉइंट (Tamia View Point)
    पातालकोट की सुंदरता का सबसे बेहतरीन नज़ारा तामिया व्यू पॉइंट से देखा जा सकता है। यहाँ से घाटी का लगभग पूरा दृश्य दिखाई देता है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का दृश्य तो मन मोह लेता है।

  2. देवगढ़ किला (Deogarh Fort)
    पातालकोट के निकट स्थित यह ऐतिहासिक किला प्राचीन वास्तुकला का शानदार उदाहरण है। कहा जाता है कि यह किला कभी गोंड राजाओं की राजधानी था।

  3. घाटी के भीतर बसे गाँव
    पातालकोट के अंदर बसे छोटे-छोटे गाँव जैसे रेटी, गहन, हर्रा और तंदुला, अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध हैं।

  4. झरने और जलप्रपात
    मानसून में यहाँ कई झरने जीवंत हो उठते हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इनमें सिद्ध झरना और मालवी झरना प्रमुख हैं।


🧭 पातालकोट तक पहुँचने का तरीका

सड़क मार्ग (By Road):
छिंदवाड़ा से बस या टैक्सी के माध्यम से पातालकोट पहुँचा जा सकता है। रास्ता बेहद खूबसूरत है और पहाड़ी मोड़ों से होकर गुजरता है।

रेल मार्ग (By Train):
छिंदवाड़ा रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी स्टेशन है, जहाँ से स्थानीय परिवहन द्वारा पातालकोट पहुँचा जा सकता है।

हवाई मार्ग (By Air):
नागपुर एयरपोर्ट से छिंदवाड़ा या तामिया तक टैक्सी या बस उपलब्ध है।


🏕️ पातालकोट में ठहरने और भोजन की व्यवस्था


पातालकोट में अधिकतर क्षेत्र वन विभाग के अधीन है, इसलिए यहाँ सीमित ठहरने की व्यवस्था है।

  • तामिया और छिंदवाड़ा में अच्छी क्वालिटी के होटल और रेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
  • कुछ जगहों पर इको-टूरिज्म कैंप भी लगाए गए हैं जहाँ आप स्थानीय भोजन, जनजातीय नृत्य और संस्कृति का आनंद ले सकते हैं।

यहाँ का स्थानीय खाना जैसे मक्का रोटी, महुआ की चाय, जंगल की सब्जियाँ और पिसे चावल काफी प्रसिद्ध हैं।


🌞 घूमने का सबसे अच्छा समय

पातालकोट घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
इस समय मौसम ठंडा और सुहावना होता है, तथा घाटी की हरियाली अपने चरम पर होती है।

वर्षा ऋतु (जुलाई से सितंबर) में भी यह जगह बेहद खूबसूरत लगती है, परंतु रास्ते फिसलन भरे होने के कारण सावधानी जरूरी है।

Patalkot ki khai


📸 क्या करें और क्या न करें

क्या करें (Do’s):

  • कैमरा लेकर आएँ, प्राकृतिक दृश्य अद्भुत हैं।
  • स्थानीय लोगों की संस्कृति का सम्मान करें।
  • पर्यावरण को स्वच्छ रखें।

क्या न करें (Don’ts):

  • प्लास्टिक या कचरा घाटी में न फेंकें।
  • वन्य जीवों या पौधों को नुकसान न पहुँचाएँ।
  • बिना अनुमति के किसी भी जनजातीय गाँव की फोटो न लें।

💬 निष्कर्ष

पातालकोट केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक जीवित सांस्कृतिक धरोहर है जो भारत की प्राचीनता, प्रकृति और जनजीवन का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
यहाँ की गहराई केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक भी है।

अगर आप भी शांति, प्राकृतिक सौंदर्य और परंपरागत जीवन का अनुभव करना चाहते हैं, तो एक बार पातालकोट ज़रूर जाएँ —
जहाँ धरती का अंत नहीं, बल्कि प्रकृति का आरंभ होता है। 🌿

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Comments

Rekha ivnati said…
Aur sudhar karo blog me

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